शनिवार, 27 सितंबर 2025

इल्तिज़ा इतनी

अफ़सोस नहीं वो मेरे न हो सके या ख़ुदाया,
बस इल्तिज़ा इतनी — तेरे करम की बस अब हमें ही उनका कर दे।

                    Instagram

Follow me on Instagram

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दिल की गहराइयों से निकली एक शायरी | Love and Pain Shayari 💔

दिल के कोने में बसी वो यादें, जो न भूल पाती हैं, न छोड़ पाती हैं। आज की ये शायरी आपके लिए, जो प्यार में खोए हैं, और उस दर्द को जी रहे हैं, ज...